google.com, pub-1809443929674798, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Burdavan University Me 2 Cr Ka Bhrashtachar

Burdavan University Me 2 Cr Ka Bhrashtachar

⚠️ CID ने बर्दवान यूनिवर्सिटी में दर्ज ₹2 करोड़ के भ्रष्टाचार मामले में फाइनेंस ऑफिसर को पूछताछ के लिए तलब किया

Burdavan-University


बर्दवान, पश्चिम बंगाल: बर्दवान (Burdwan) विश्वविद्यालय में ₹2 करोड़ से अधिक के कथित वित्तीय गड़बड़ी के मामले में राज्य की CID टीम ने विश्वविद्यालय के फाइनेंस ऑफिसर सौगत चक्रवर्ती को पूछताछ के लिए तलब किया है। यह मामला पहले ही हाई कोर्ट में पहुंचा हुआ है और अब जांच और तेज़ कर दी गई है।

🕵️ पूछताछ की प्रक्रिया

  • शुक्रवार को CID कार्यालय में सौगत चक्रवर्ती को सुबह साढ़े आठ बजे से दोपहर बारह बजे तक लगातार चार घंटे तक पूछताछ की गई।

  • इससे पहले, CID ने विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यापक निमाइ चंद्र साहा से पूछताछ की थी — और उनकी कहानी में ऐसे सुराग मिले कि अब वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया जा रहा है।

  • सूत्रों का कहना है कि CID पूर्व रजिस्ट्रार सुजितकुमार चौधुरी को भी जल्द तलब कर सकता है — ताकि तीनों अधिकारियों से एक-एक करके गहन पूछताछ की जा सके।

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⚖ उच्च न्यायालय की सुनवाई कब?

  • इस भ्रष्टाचार मामले की अगली सुनवाई 30 जून, 2025 को कोलकाता हाई कोर्ट में होनी है।

  • CID ने अब तक जांच के जो पहलू सामने आए हैं, उनकी एक रिपोर्ट अदालत में जमा करने की तैयारी कर ली है, ताकि अगली सुनवाई तक पूरे तथ्य स्पष्ट रूप में प्रस्तुत किए जा सकें।

📌 सारा मामला क्या है?

  • आरोप है कि विश्वविद्यालय में ₹2 करोड़ से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी हुई — इनमें बगैर उचित दस्तावेज़ के धन निकासी और ट्रांसफर शामिल हैं।

  • CID को यह भी संदेह है कि विश्वविद्यालय ने फिक्स्ड डिपॉज़िट की राशि कथित रूप से गलत खाते में ट्रांसफर की गई है — और इसमें फाइनेंस ऑफिसर ने सम्बंधित सूचना पुलिस या विश्वविद्यालय को क्यों नहीं दी, इसकी भी जांच की जा रही है।

  • पूछताछ में पूछे गए सवालों में यह शामिल रहा — यदि फाइनेंस ऑफिसर ने चिट्ठिए (memo) प्राप्त की थी तो उसने क्यों कोई जानकारी नहीं दी? और क्या उसने हस्ताक्षर जालसाज़ी का मामला नज़रअंदाज़ किया?

🧭 मामला क्यों अहम?

  • यह केवल एक शैक्षिक भ्रष्टाचार मामला नहीं है, बल्कि यह सवाल उठता है कि विश्वविद्यालय के उच्च पदाधिकारी किस हद तक जवाबदेह हैं

  • अब सीआईडी की जांच से सामने आया है कि फाइनेंस विभाग की भूमिका और निर्णय लेने में गंभीर लापरवाही हो सकती है — जिससे विभागीय पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

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