google.com, pub-1809443929674798, DIRECT, f08c47fec0942fa0 West Bengal Sarkar Ne DA Bhugtan Ke Liye 6 Mahine Maange

West Bengal Sarkar Ne DA Bhugtan Ke Liye 6 Mahine Maange

📌 पेंशन व वेतन में देरी के लिए पश्चिम बंगाल ने माँगा समय—25% डीए भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट से पूछा अतिरिक्त छह महीने

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कोलकाता/नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने कर्मचारियों की बकाया 25% Dearness Allowance (डीए) भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट से अधिक समय की मांग की है। आधिकारिक तौर पर राज्य ने यह पहल की है कि उपयुक्त बजट का प्रावधान अभी नहीं हो पाया है, इसलिए इस राशि को भुगतान करने के लिए छह महीने का अतिरिक्त समय चाहिए।

🧾 मामला कैसे शुरू हुआ?

  • 16 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह अंतर्निहित डीए बकाया में से 25% को चार सप्ताह के भीतर भुगतान करे।

  • लेकिन राज्य का पक्ष रहा कि वर्तमान बजट में इसके लिए कोई राशि उपलब्ध नहीं है, जिससे यह भुगतान असंभव हो गया।

  • साथ ही राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधन याचिका भी दायर की है, जिसमें कहा गया है कि यदि हाइकोर्ट या अन्य न्यायालय इस आदेश की फिर समीक्षा करता है और राज्य के पक्ष में निर्णय आता है, तो उस संशोधित आदेश का पैसा लौटा दिया जा सके—इसलिए फिलहाल उस धन को न्यायालय में आस्थापित रखा जाए।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और अगला कदम

  • राज्य सरकार का यह आवेदन सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया है और अगले सुनवाई के लिए 4 अगस्त 2025 की तारीख तय की गई है।

  • अदालत को अब यह तय करना है कि—क्या वास्तव में छह महीने का अतिरिक्त समय दिया जाए, या यह स्थिति उचित नहीं मानी जाएगी

  • ध्यान रहे, यदि समय सीमा का उल्लंघन हुआ, तो अदालत विरोधाभास और अवमानना की कार्रवाई भी कर सकती है।

💼 राज्य कर्मचारियों की स्थिति

  • राज्य कर्मचारी वर्तमान में मात्र 18% डीए प्राप्त कर रहे हैं, जबकि केंद्र या अन्य कई राज्यों में यह दर 55% तक है।

  • 25% बकाया पक्ष का अनुमान यह है कि इसे पूरा करने से राज्य सरकार पर लगभग ₹12,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ लग सकता है।

  • कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि यदि कोर्ट और राज्य की ओर से कोई नया भुगतान व्यवस्था या समयसारिणी नहीं बनती, तो वे आंदोलन या अवमानना नोटिस की राह पर कदम बढ़ा सकते हैं।

🏛️ सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

  • सुप्रीम मंडल का आधार था कि डीए सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि वर्षों संख्या अनुसार बुनियादी अधिकार का हिस्सा है और इसे राजनीतिक बहस की तरह नहीं रोका जा सकता।

  • हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की आर्थिक व्यावहारिकता को मान्यता देते हुए भुगतान की राशि 50% की बजाय 25% तक घटा दी थी और कहा कि बाकी की राशि आगे की सुनवाई तक स्थगित रखी जाए।

🧭 आगे क्या होगा?

कदम विवरण
💰 याचिका राज्य सरकार ने छह महीने की समय सीमा माँगी है
🗓️ अगली सुनवाई निर्धारित है 4 अगस्त 2025 को
👥 कर्मचारी प्रतिक्रिया यूनियनें कानूनन कार्रवाई व आंदोलन की बात कर रही हैं
⚠️ वित्तीय दबाव ₹12,000 करोड़ का अनुमानित बोझ, जिससे अन्य कल्याण योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं

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