📹 CCTV फुटेज विवाद: Kasba लॉ कॉलेज का सुरक्षा पैनल सवालों के घेरे में
कोलकाता (कासबा): हाल ही में कोलकाता के साउथ लॉ कॉलेज में हुई घिनौनी घटना की जांच में ऐसी बातें सामने आई है कि जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे। कॉलेज की सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी प्रणाली में ऐसी चूक हुई, जिसने घटना को अंजाम देने वालों को भारी मदद पहुंचाई।
🕵️♂️ आरोप: आरोपी के मोबाइल में थी CCTV तक पहुंच
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पुलिस ने पता लगाया कि कॉलेज परिसर के सीसीटीवी कैमरे का सीधा लाइव फुटेज आरोपी छात्र नेता के मोबाइल पर पहुंचता था।
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आरोपियों में दो अस्थायी कर्मचारियों—बिमल सामंत और राजू काहार—के साथ ही मुख्य आरोपी भी शामिल हैं, जिनके मोबाइल पर इस सुविधा का निशान मिला।
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पुलिस के पास ऐसे दस्तावेज़ हैं जो बताते हैं कि यह सुविधा एक साल पहले से संभव थी, इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन—विशेषकर वाइस प्रिंसिपल—इस पर सवालों का स्पष्टीकरण नहीं दे पाए।
🎥 CCTV फुटेज से खुला और कई अहम सच
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पुलिस ने शुरुआती जांच में पाया है कि कॉलेज सीसीटीवी फुटेज से पीड़िता के भागने की कोशिश और आरोपियों द्वारा उसे जबरन वापस ले जाने की सच्चाई पुष्ट हुई।
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मुख्य आरोपी मोनोमित मिश्र के मोबाइल से मिली वीडियोज़ ने नया खुलासा किया—पीड़िता के साथ जबरदस्ती की गई घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग और उनका ब्लैकमेल उद्देश्य से इस्तेमाल किया जाना शामिल था।
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कॉलेज की सुरक्षा टीम, जिनमें वह गार्ड भी शामिल है जिसने घटना के दौरान कोई कदम नहीं उठाया, अभी जांच के दायरे में हैं।
🛡️ सुरक्षा और नैतिकता पर गंभीर सवाल
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अगर सीसीटीवी रिकॉर्डिंग आसानी से मोबाइल पर पहुंच रही थी, तो यह आपराधिक साजिश को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम देने जैसा बनाता है।
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कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल द्वारा इस पर मौन रहना साफ संकेत देता है कि प्रशासनिक जवाबदेही में भारी कमी थी।
🧭 पड़ताल और अगला कदम
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पुलिस अब फोरेन्सिक टीम से इन मोबाइल वीडियो और सीसीटीवी रिकॉर्ड को विश्लेषित करने के निर्देश दे चुकी है।
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जांच में कॉलेज प्रबंधन और सुरक्षा गार्ड की भूमिका को लेकर कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।
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छात्र संगठनों और सामाजिक समूहों ने कॉलेज परिसरों में निगरानी, जवाबदेही और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम पर पुनर्विचार की मांग तेज कर दी है।
✅ निष्कर्ष
इस मामले ने दिखाया है कि तकनीकी निगरानी (CCTV) का गलत उपयोग कितनी बड़ी त्रासदी और सामाजिक संकट पैदा कर सकता है।
सवाल अब सिर्फ अपराधियों के खिलाफ नहीं, बल्कि उन पर उठ रहे प्रशासनिक और नैतिक सीधे सवालों के जवाब तय करने का भी है।
इस घटना ने सिर्फ कॉलेज प्रशासन पर ही नहीं बल्कि समाज पर भी कई सवालिया निशान लगाए हैं। जिनके जवाब हम सबको कभी न कभी जरूर देने पड़ेंगे।
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