⚠️ टीएमसी ने देवरा विधायक हुमायूँ कबीर को लिखा नोटिस — कलिगंज परिवार को आर्थिक मदद का प्रयास बना विवाद
कोलकाता/देवरा: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने देवरा क्षेत्र के विधायक हुमायूँ कबीर को एक ‘शो कॉज़ नोटिस’ (विवरण देने का पत्र) भेजा है। आरोप है कि उन्होंने हाल ही में कलिगंज में त्रासदी का शिकार एक परिवार को आर्थिक मदद पहुंचाने की कोशिश की, जो पार्टी के आचार-व्यवहार नियमों के खिलाफ है।
🧾 क्या कहा है पार्टी को?
टीएमसी की प्रदेश इकाई ने आरोप लगाया कि:
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विधायक ने पार्टी नेतृत्व की अनुमति या जानकारी के बिना खुद ही मदद की।
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उन्होंने देवरा MLA कोष का उपयोग कर या पैसे देकर कलिगंज पहुंचे परिवार से मिलकर उनको कुछ राशि दिलाई।
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पार्टी का आरोप है कि यह व्यवहार नीतिगत दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है और इससे “पार्टी के नाम का राजनीतिक लाभ” हासिल करने की भावना झलकती है।
लोकल टीएमसी नेतृत्व ने हुमायूँ कबीर से 48 घंटे के अंदर स्पष्ट उत्तर देने को कहा है कि क्या उन्होंने ऐसा किया, क्यों किया, और किन परिस्थितियों में यह सहायता दी।
🧑⚖️ विधायक का जवाब
हुमायूँ कबीर ने कहा कि उनका यह कदम मूल रूप से एक मानवीय प्रयास था — कोई राजनीतिक दांव नहीं।
उनका कहना है:
“मैंने अपनी संवेदनशीलता से प्रतिक्रिया दी, क्योंकि परिवार बेहद मुश्किल हालात में था। मेरी कोशिश किसी राजनीति करने की नहीं, बल्कि दुख में साथ देने की थी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने पार्टी मंज़ूरी दौरे से पहले या बाद में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि उसी समय तुरंत मदद पहुंचाई।
🛡️ पार्टी की चिंता — नीति उल्लंघन या अपवाद?
टीएमसी के अधिकारियों का कहना है कि विधायक अगर ऐसा करते हैं, तो उससे:
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पार्टी की स्थापित व्यवस्था और गाइडलाइन्स पर प्रभाव पड़ता है।
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यह और विधायकों के लिए एक मिसाल बन सकता है कि वे बिना पार्टी जानकर या मंज़ूरी के ऐसे कदम उठा सकते हैं।
उनका तर्क है कि अगर किसी विधायक को किसी संवेदनशील मामले में मदद करनी है, तो वह पहले पार्टी के माध्यम से ही ऐसा करे — ताकि बाद में इससे जुड़े कोई गलत संदेश न जाएँ।
🤝 इसका असर क्या हो सकता है?
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अगर विधायक ने पार्टी का आचार-व्यवहार उल्लंघन किया है, तो उन्हें सज़ा या निर्देश मिल सकते हैं।
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यह घटना ग्रामीण और गरीब वर्गों में यह संदेश पहुंचा रही है कि क्या कोई नेता पार्टी लाइन से हटकर व्यक्तिगत तौर पर एकत्रित हुए राहत कार्य कर सकता है।
विधायक का मानना है कि यह स्थानीय जनता की उम्मीदों से जुड़े इंसानियत का मामला था।
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